जिस देश में संसद पर आक्रमण के लिये मृत्युदण्ड प्राप्त आतंकवादी को फाँसी नहीं होती और उसका खुलेमाम बचाव किया जाता है वहीं मालेग़ाँव विस्फोट के लिये आरोपी बनायी गयी साध्वी को मीडिया द्वारा दोषी सिद्ध होने से पहले ही आतंकवादी ठहरा दिया जाता है। केन्द्र सरकार के घटक दल खुलेआम इस्लामी आतंकवादी संगठन सिमी के पक्ष में बोलते हैं और बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश की नागरिकता देने की वकालत करते हैं और विद्या भारती द्वारा संचालित विद्यालयों के पाठ्यक्रम को प्रतिबन्धित करने की बात करते हैं क्योंकि वे शिवाजी, राणाप्रताप को आदर्श पुरुष बताते हैं। रामविलास पासवान का तर्क है कि विद्याभारती के विद्यालय गान्धी के स्वाधीनता आन्दोलन में भूमिका पर प्रश्न खडे करते हैं इसलिये इस पर प्रतिबन्ध लगना चाहिये। अर्थात देश में विचारों की स्वतंत्रता पर आघात होगा। इतना तो स्पष्ट है कि हिन्दू धर्म और संस्कृति एक बार फिर अत्यंत कठिन दौर से गुजर रहा है जब सेक्युलरिज्म के नाम पर हिन्दू होना अपराध ठहराने का प्रयास किया जा रहा है।
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ऊपर की पंक्तिया और ऐसे ही चिठा पढ़ते हुए बदन का खून खौलने लगता है. जी करता है कोई अनजानी शक्ति मिल जाये और उन सरे भ्रष्ट नेताओ और हुक्मरानों को सरेआम फासी पर लटका दु जो ये करते है ! क्या तर्क बनता है की मृत्युदण्ड प्राप्त आतंकवादी (अफजल गुरु) को फाँसी नहीं हुई और वो आजतक खुलेआम घूम रहा है. ! शिवाजी, राणाप्रताप, भगवन राम की बाते करना अपने ही देश में एक गाली हो गया है, ऐसी बाते करे तो अपने मुसलमान भाइयो का दुश्मन मान लिया जाता है.!
क्या उदार होने की यही सजा है ! ऐसी ही बाते जब मै अपने साथी मित्रो के साथ करता हूँ तो पता है वो क्या कहते है
" यार *** सर क्या दिन भर पढ़ते और हो और लिखते रहते हो.. छोडो ये सब, सब के सब हम पब्लिक को उल्लू बनाने के लिए ये नेता लोग ऐसा करते रहते है.! साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को अपराध साबित होने के पहले ही अपराधी (देश द्रोही) करार कर दिया जाता है और देश द्रोही (अजमल आमिर कसाब) को जेल में दामाद के तरह treat किया जाता है. अफजल गुरु को आज तक सजा नहीं हो पाई और कभी होगी भी नहीं. " इसलिए इन सब बातो को छोडो और कुछ नयी उमंग भरी प्रोग्रेसिव बाते लिखो ! जिससे मन को सुकून मिले
वो कट्टर है बात बात (धर्म) की बात पर लड़ते है तो लड़े, हम क्यों अपना energy loss करे ! अपनी ताकत को विकाश में खर्च क्यों न करे ! मदरसे (जिहाद) की पढाई कर हम किसी बड़े ओहदे की दावेदारी नहीं पेश कर सकते.
एक हमारे मुहम्मदन मित्र है, जिनकी अक्सर ये सिकायत रहती है हमें हिंदी या इंग्लिश कम आती है इसलिए हम आगे नहीं बढ़ पाए (वो एक sampling टेलर है) और अभी कुछ ही दिन हुए है वे एक दिन हाथ मिलते हुए बोले भाई जान मुझे जार्डन का वीसा मिल गया है, जा रहा हूँ सम्प्लिंग टेलर के तौर पर १३४ JOD मिलेंगे ८ घंटे के (यानि १३४ x 69.40 = Rs 9300/-) जबकि यहाँ भी एक sampling टेलर जो की कुछ इंग्लिश या हिंदी पड़ना जनता हो उसकी तनख्वा १२०००/- है !
इसलिए हमें अपना ध्यान विकाश और तर्रकी में लगाना चाहिए नकि इन बे सर पैर की बातो में ...