आज जुम्मा है है क्या ?
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"लो जी आ गया.. सायद आपने बुलाया भाई जान ?"
मै अपने काम में मशगुल था इसी बीच कुछ सुनाई पड़ा ! मैंने पीछे मुड कर देखा और बोल पड़ा
"सिराज भाई"
आवो आवो.. मैंने बोला ! आ गए हफ्ता लेने ? रुको देखता हूँ सायद खुल्ला है पांच रुपये मेरे पास !
उस दिन जुम्मा नहीं मंगलवार था और सिराज भाई हनुमान जी के प्रसाद के लिए हर किसी से जिससे जो बन पड़े पैसा मांग रहे थे ! इस तरह हमारे कम्पनी में हर मंगलवार को हनुमान जी की पूजा होती है और प्रसाद के लिए बुंदिया (बुनिया) बाजार ले सिराज भाई ही लाते है और सबको बाटते है !
सुबह मैं अक्सर उनको देखते ही "सलाम वा आलेकुम" कहता हूँ इसपर जवाब मिलता है "राम राम भाई जान"
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चलिए अब कुछ दिन के बाद की कुछ बाते बताता हूँ
"अरे आज जुम्मा है क्या ? " किसी ने मुझसे पूछा
मैंने कहा "अ..अ..हा सायद आज शुक्रवार है !
जवाब आया " हा तभी तो सारे के सारे आज ***** टोपी लगाये हुए है !
मैंने कहा नहीं यार ऐसे नहीं कहते "आज ही तो वो अपने इष्ट को याद करते है, एक साथ उसके (उपरवाले) के सजदे में सर झुकाते है !
हमें उनकी क़द्र करनी चाहिए और उन्हें सुभ कामनाये देनी चाहिए !
जवाब मिला " अरे नहीं शुभ कामनाये और इनको" कभी नहीं !
मेरा अगला मानसिक द्वन्द था "क्या ऐसा कर हम अपने इष्ट को खुस कर पाएंगे"
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उसके अगले दिन मै सिराज भाई को देखते ही उनके पास जाकर गले लगा कर जोर से कहा " सलाम वा आलेकुम भाई जान" अल्लाह आप को हमेसा खुस रखे !
!! आमीन !!
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