कुछ इधर भी नजर डाले



कुछ इधर भी नजर डाले.. !


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शिमला में पीने के पानी की किल्लत ...
11 सितं 2009 ... 'पर्वतों की रानी' कहलाने वाला शिमला इन दिनों मूसलाधार बारिश के बावजूद पीने की पानी की कमी की समस्या से जूझ रहा है। शिमला के नगर निगम के कमिश्नर ए. एन. शर्मा ने बताया ...
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आने वाले दिनों में पानी की किल्लत ...
19 अगस्त 2009 ... आने वाले तीन दिन राजधानी के कई इलाकों में पानी की किल्लत रहेगी। जल बोर्ड ने इन इलाकों की जानकारी देते हुए अपील

खयाल Musings: पानी की किल्लत
11 फ़र 2009 ... पानी की किल्लत. हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट (लिंक) के अनुसार २०२० तक भारत के ज़्यादातर शहरों में पानी की काफी कमी होने वाली है। ऐसे में ज़रूरत है पानी बचाने की जैसे ...
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हमारे देश के महान बैज्ञानिको को सबसे पहले "बहुत बहुत बधाई" एक बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल करने के लिए, "A big salute"



लेकिन हमारे राज्य स्तर के, स्वास्थ्य मन्त्री, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर सुधार न्याश, नगर निगम अधिकारी इत्यादि-इत्यादि क्या आम जनता को सुद्ध पानी पिलाने में कभी सक्षम हो पाएंगे ???

माफ करना माँ ! कुछ औरत के बारे में लिखा है ! पर गलत नहीं..

आज हर तरफ औरत की आज़ादी की बात हो रही है ! ठीक है आज़ादी होनी भी चाहिए क्योंकि विकाश और तरक्की पिंजरे में नहीं हो सकती, आज से पहले औरतो को घर के अंदर ही रहने को सलाह दी जाती रही है, घर के कम काज, बच्चो को पालना, और घूँघट में रहना ही औरतो की तक़दीर मान ली गई थी !
पर आज यह स्वरुप बदला है औरते घर से बहार निकली है और तरक्की की राह पकड़ मर्दों के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर चल रही है, चले भी क्यों न उनको भी हक है पूरी आज़ादी से जीने की, आसमान छूने की, अपने मन की करने की जो मान चाहे ! जब समाज की बनायीं अन्य रुढिवादी परम्पराए टूट रही है तो ये क्यों नहीं
अपने ढंग से जीने का अधिकार सभी को है लेकिन समाज की मान्यताओ और परम्पराओ का उन्मूलन करके नहीं !


आज कुछ लड़कियों को खुलेआम सिगरेट पिटे हुए देखा जा सकता है ! पब में जाकर शराब पीते हुए और अपने साथी मित्र के साथ अश्लील से अश्लील हरकत करते हुए ! इस पर कुछ टिका टिपण्णी की जाय तो सुनाने को मिल जायेगा " तो इसमें बुराई क्या है ? क्या मर्द ये नहीं करते ? उनके लिए आज़ादी ? और हमारे लिए ...?
अक्सर लड़कियाँ तंग कपड़ों में कालेज, बाहर, मॉल या बाज़ार आती हैं और नतीजन ईव-टीजिंग को बढ़ावा मिलता है ।
इसपर कुछ लड़कियों का ये कहना है की हमारे साथ ही भेद भाव क्यों ? क्या हमें अपने मन पसंद कपडे पहनने का अधिकार नहीं है ? हमें आज़ादी से जीने का अधिकार नहीं ?


है कपडे पहनने का भी अधिकार है, मगर कुछ सलीका भी तो होता हो, मगर ऐसे बस्त्र जिसमे आधे से भी अधिक बक्ष नुमाया हो, नितम्ब और शारीर के अन्य अंग बखूबी दिखे, क्या ऐसे बस्त्र पहनने चाहिए आम बाज़ार या सर्ब्जनिक स्थान पर ! अगर हा तो यह गलत है (मेरे बिचार से) !


एक साधारण मनोबिज्ञान : पत्र पत्रिकयो के कवर पेज पर अक्सर कुछ इसी ढंग के फोटो सजे होते है, (सभी ने देखा है) जो अनायाश ही किसी को एक पल आकर्षित करता है ! इसके पीछे एक ही उद्देश्य होता है आकर्षित करना और उपयोग करवाना (खरीदवाना) !


अ़ब लड़किया अगर तंग कपडे पहनती है तो इसके पीछे उनका क्या मनोविज्ञान होता है ये तो वही जाने .. !


एक समाचार बीबीसी में पढ़ा " दो लड़कियों ने अपने पिता के ऊपर उनके साथ बलात्कार का आरोप लगाया और एक NGO ने आरोप सिद्ध कर पिता को सजा भी सुनवा दिया.. पर जाच पड़ताल के बाद पता चला की, दोनों लड़कियों ने अपने पिता के ऊपर बलात्कार का झूठा आरोप लगाया था ! इसलिए आरोप लगाया था की उनके पिता ने उन्हें दोस्तों के साथ पार्टी में जाने से मन कर दिया था !


दो बेटिय़ों ने अपने पिता के साथ जो कुछ किया वो उनकी छोटी सोच को दर्शाता है लेकिन पिता ने ना केवल अपनी बच्चियों को माफ किया बल्कि उन तमाम बेटियों को एक सबक भी दिया है जो अपनो को घर की बजाय बाहर तालाशती है।


मै अपने एक ब्लॉगर मित्र "सलीम खान" के एक लेख " नारी का व्यापक अपमान और भारतीय नपुंसकता Modern Global Women Culture and India " में टिपण्णी की थी जो इस प्रकार है आप भी पढ़े ! इस टिपण्णी के बाद मुझे एक फोन आया किसी लड़की का " जो की मुझे पहले तो मर्दों वाली दो-चार गलिया दी और कहने लगी हमसे जलते हो क्या ?" उसके बाद उसके किसी अन्य दोस्त का हल्का सा आवाज़ आया, "बंद कर न यार चल पहले ख़त्म कर कुछ लडखडाती आवाज़ में और लाईन कट गया !

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Ganesh Prasad ने कहा…


दोस्त मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा की क्या कमेन्ट करू..

नारी के पक्ष में या बिपक्ष में , कुछ नारियो को देखकर तो लगता है.. जो हो रहा है ठीक है. पर बाकि (९०%) महिलायों / औरतो को देखकर लगता है की नहीं ऐसा उनके साथ ऐसा नहीं होना चाहिए..

अभी कल (06.09.09) ही की बात है ( यहाँ गुडगाँव के सदर बाज़ार में, मैं किसी काम से गया था वहा देखा की तीन आधुनिक लड़किया (MTV TYPE) सभी के नजरो का केंद्र बनी हुयी थी अपने उछल कूद के कारण, इतने में मै देखा की एक जो ज्यादा ही (MTV TYPE) लग रही थी एक पटरी वाली दुकान ( woman's inner wear) से एक ब्रेसिअर लेकर दुकानदार से पूछ रही थी भैया ये कितने का है और मेरे size का है क्या ? (काफी तेज आवाज) में ताकि कम से कम आसपास के कुछ लोग सुन सके और साथ ही साथ हँसे भी जा रही थी... साथ ही दूसरी लड़की हसते हुए उसे खीच रही थी और कहती जा रही थी "चल न यार क्यों भैया (भैया पे जोर देकर) को परेसान कर रही हैं

यह देखकर क्या लगता है.. आपको.. कैसी भावना जाग्रित होती है ऐसी लड़कियों के लिए, ऐसे में अगर कोई मनचला उनके साथ छेड़खानी करे तो.........

मै कोई कुंठित और मनोरोगी नहीं हूँ


और ना ही नारी विरोधी

September 7, 2009 5:35 PM


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हम आधुनिक बनाने के चक्कर में पश्चिम की गन्दगी को अपना रहे है ! लड़किया आधुनिक बनाने के चक्कर में कुछ ज्यादा ही आधुनिक होने लगी है है ! कभी हमें पढ़कर कह पड़ेगी "male dominated society" का एक और "executive" और फिर "चोखेर बाली, औरतनामा, गंदी लड़की और न जाने कितने पेज पर भरते चले जायेंगे !

बनाना ही है तो इंदिरा गाँधी बनो, इंदिरा नुई, सानिया मिर्जा, सुनीता विलिअम्स, पि टी उषा बनो, ना की कुछ ऐसे जैसे  "मै टल्ली हो गई..........."



एक और तमाशा !

निठारी हत्याकांड में पंधेर बरी

एक और तमाशा, और कानून के साथ खिलवाड़ या सायद
कानून मेरा कुछ नहीं बिगड़ सकती, दम है कानून में तो मुझे सजा देकर देखे, सायद पंधेर यही कहना चाहता है ! सब को पता है (कानून को छोड़कर) की निठारी में क्या हुआ था, दोषी पंधेर और सुरेंद्र कोली है या नहीं.?

सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंधेर को 29 दिसंबर, 2006 को गिरफ़्तार किया गया था.

घटना को हुए ढाई साल से भी ज्यादा हो चूका है और कानून की कार्यवाई अब भी चल रही है ! वैसे कानून की कार्यवाई में कुछ ज्यादा ही समय लग रहा है, अमूमन ऐसा होता है की कानून के रखवाले तो कभी कभी एक मामूली से चोर को पकड़ कर एक ही दिन (या सायद कुछ ही दिन) में उसका चालान भी कर डालते है और कुछ दिनों के बाद पता चलता है की, पकडा गया चोर, चोर ही नहीं बहुत बड़ा स्मगलर, रेकेट सरगना और उसके ऊपर कई रेप और मर्डर के केस पहले से ही चल रहे थे.

वैसे कुछ मशले जैसे, अफजल गुरु, आमिर कसाब, बोफोर्स मामला, दायुद, बीरप्पन इत्यादि - इत्यादि ! माफ कीजियेगा बीरप्पन नहीं, बीरप्पन को मारना तो किसी के बस में था ही नहीं क्योंकि...

और जब उसकी बारी (----) आई तो बस दो दिन लगे और उसका सजा मुकरर कर दिया गया...

एक मानव बिज्ञान : हम दूसरो को दोषी तभी ठहराते है जब हम उसमे शामिल न हो...

महँगी पड़ी ! मूसलचंद बनना..

भाई साहब! हनुमान मूर्ति, करोल बाग अगला स्टाप ही है क्या ?

बस में खड़े खड़े मै अपने बाजु में बैठे एक सज्जन से पूछ लिया !

हा बेटे अगले गोल चक्कर पे उतर जाना ! उस सज्जन ने जवाब दिया !

आगे बहुत ही जाम था सो मैंने वही उतर जाना ठीक समझा ! पर वहा से काफी चलना पड़ा मुझे, झंडेवालान मेट्रो के निचे से होते हुए मै हनुमान जी की मूर्ति के पास बहुचा ! मुझे वहा से गुडगाँव बस स्टैंड तक जाना था और गुडगाँव के लिए बस पकड़नी थी, पर उसके पहले आधा किलो बेसन का लड्डू ख़रीदा और चल पड़ा पहले हनुमान जी का भोग लगाने !

रात के करीब नौ बजे (करोल बाग)गुडगाँव स्टैंड पर पंहुचा, सवारिया बहुत कम थी और जो थी वो भी किसी तरह कैब-वैब पकड़ने के चक्कर में थी. मैंने भी कोशिश की पर गुडगाँव बस स्टैंड तक के लिए कोई कैब नहीं मिली सो थक कर मैं स्टैंड पर आकर बैठ गया ! और बस का इंतजार करने लगा ! इसी तरह २० से २५ मिनट बीत गया पर हा मेरे साथ साथ कुछ और सवारिया भी थी वहा जो बस (हरियाणा रोडवेज) का इंतजार कर रही थी !

मैं भी फुर्सत में ही था ! सो बस का इंतजार ठीक ही लग रहा था ऊपर से गर्मी का मौसम ! अपने समय से बस आई और मैं बस में खिड़की के तरफ की सीट पर बैठ गया ! बस चल पड़ी , बस में कुल १०-१२ सवारिया ही थी !बस चल पड़ी और बहुत जल्दी धौलाकुवां बहुच गई, हा धौलाकुवां में कुछ सवारिया चढी और अ़ब कुल मिला कर २०-२५ सवारिया थी बस में ! उसमे एक लड़की भी थी धौला कुवां से चढ़ने वाली सवारियों में ! लड़की इसलिए याद है क्योंकि केवल दो ही लड़की थी पुरे बस में एक करोल बाग से चढी थी और एक धौलाकुवां से ! ज्यादा सवारी न होने के कारण बस बहुत जल्दी धौला कुवां से भी चल पड़ी ! वो लड़की अकेली थी, सफ़ेद सुट में, लेडीज सीट की ओर खिड़की के तरफ बैठ गई और जल्दी में बैठते ही मोबाइल पर लगी बातें करने, सायद बस में चढ़ते समय मोबाइल किसी से कनेक्टेड ही था !

धौलाकुवां से चढ़ने वाली सवारियों में दो लोग और थे उसमे से एक काफी देर तक बस में खडा रहा जबकी लगभग काफी सीटें खली थी पर वो (काला सा लड़का) उस लड़की के साथ वाली सीट पर बैठ गया ! बस फिर चल पड़ी ! हल्की हल्की बूंदा बंदी भी होने लगी मौसम काफी खुशनुमा लग रहा था ! आदतन बस में, कुछ (कुछ लोग जिसमे से मैं भी हूँ) दूसरी सवारियों के तरफ और पुरे बस में जरुर नजर डालते है ! मैंने भी वही किया , अचानक मेरी नजर उस सीट की तरफ रुक गई जहा वो (काला सा लड़का) और वो लड़की (सफ़ेद सुट) पहने थी ! लड़की अब भी मोबाइल पर ब्यस्त थी ! वो (काला सा लड़का) काफी उत्तेजित सा लग रहा था और अपनी नजर में सबसे नजरे बचाते हुए उस लड़की को अपनी बायीं कोहनी से छेड़ रहा था और लगातार छेड़ रहा था, लड़की का पुर ध्यान मोबाइल में लगा हुआ था या सायद वो मोबाइल पर काफी ब्यस्त होने की नक़ल कर रही !

चाहे जो भी हो पर वो (काला सा) लड़का अब उस लड़की के वक्षो को सहलाने की भी कोशिस कर रहा था ! इस बार लड़की ने उसका हल्का सा विरोध किया और लड़का थोडा डरा या सायद डरने का नाटक करने लगा ! लड़की ने विरोध में इतना किया की अपना पर्स अपने और उस लडके के बिच रख लिया और फिर मोबाइल पर वयस्त हो गई, पर उस लडके का उससे ज्यादा विरोध नहीं किया ! वो (कला सा) लड़का जिसकी हिम्मत काफी बढ़ चुकी थी इस बार फिर अपने कोहनी से नहीं बल्कि अपनी दाई हाथ से (लड़की जो उसके बायीं तरफ बैठी थी) लड़की के वक्ष को भिचा, लड़की इस बार सायद दर्द से कराह उठी और हल्का सिर्फ हल्का सा विरोध किया ! और फिर मोबाइल पर व्यस्त हो गई !

मैं इसबार अपने जगह से उठा और उस (काला सा) लडके का विरोध किया ! जितना हो सका अपने पुरे दम ख़म से उस लडके को डराने की कोशिश की और कहा " क्यों बे क्यूँ उस बेचारी लड़की को छेड़ रहा है" लड़का कुछ डरा और अपने डर को छुपाते हुए कहा "देखा क्या तुने ?"

मैंने कहा "हा देखा और काफी देर से देख रहा हूँ तेरी गन्दी हरकत" तेरे घर में तेरी बहन नहीं है क्या ! ये भी तो किसी की बहन होगी"

पर लड़का डरने के बजाय मुझे ही धमकी देने लगा " चुप कर बे, घणा आया हीरो पहलवान" ! उस लडके का दूसरा साथी भी उसी की तरफ से मुझे ही मारने-वारने की धमकी देने लगा ! बस की दूसरी सवारिया केवल हमारी बातें सुन रही थी पर किसी का support मुझे नहीं मिला ! मैं भी अकेले उनसे लड़ने का मन बना लिया था ! दुसरे ने कहा "तेरी चाची लगती है क्या ये, पूछ उससे, क्या मैंने ----- दबाई है उसकी ! लड़की अब भी मोबाइल पर बातें कर रही थी ! पर उस लडके का विरोध कर उसने मेरा साथ तनिक भी ना दिया

और बात बढ़ते देख चुपचाप वह वहा से उठकर आगे की तरफ बढ़कर एक खाली सीट पर बैठ गई ! अब दोनों लडके मिलकर मुझे डराने की कोशिश करने लगे ! बस अब तक (सुखराली) पहुच चुकी थी ! वो दोनों लडके सुखराली के ही थे या किसी कारन वस् वही उतरने लगे और मुझे बार बार धमकिया दे रहे थे "उतर तू सुखराली, बताते है तेरी चाची को कैसे छेडा"

वो दोनों तो वही उतर गए, पर लड़की सायद गुडगाँव तक जाने वाली थी और मैं भी गुडगाँव स्टैंड तक ! अब बस में खामोशी थी, सायद सभी कुछ न कुछ बोलने वाले थे पर सब खामोश थे, लड़की भी खामोस थी, मै भी खामोश था, सवारिया भी खामोस थी ! और बस ड्राईवर भी खामोशी से ही बस चला रहा था ! चारो तरफ खामोशी थी !

गुडगाँव बस स्टैंड आया और सभी सवारिया उतरने लगी ! एक नजर मै उस लड़की को जरुर देखा जो अब भी मोबाइल पर बातें कर रही थी !

मैं उदास जरुर था पर एक बात सोचने पर जरुर मजबूर हुआ की "क्यों हम सभी बड़ी बड़ी बातें करते है और जब जरुरत आन पड़ती है तो चुप रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं)

कहानी नहीं सत्य घटना है और पुर्णतः सत्य है

सब अल्लाह की मर्जी हैं !

८४ शादिया १७० बच्चे,

रोज के तीन बोरी चावल खाने में खर्च हो जाता है, आय का कोई साधन नहीं है ! फिर भी दिन कट रहे है सब अल्लाह की मर्जी से !
८४ पत्नियों में से एक के ये कहने पर की मैं इनसे शादी नहीं करुँगी क्योंकि ये बुजुर्ग हैं, उससे कहा गया की ये सीधे अल्लाह की मर्जी है की तुम इनसे शादी करो, और उसने अल्लाह की मर्जी से शादी कर ली, वैसे इसलाम में ४ शादियों तक जायज माना जाता है, पर जनाब मुह्हम्मद बेल्लो अबुबकर का कहना है, इसलाम में चार शादियों तक जायज बताया गया है पर उससे ज्यादा शादी करने पर कोई गुनाह तय नहीं किया गया है.

सब अल्लाह की मर्जी है...






सौजन्य : http://news.bbc.co.uk/2/hi/africa/7547148.stm