आवारा औरत, by prem lata

सायद यह कहानी आपको पसंद आए, और कुछ सिख भी मिले, Originally powered by http://pasand.wordpress.com/2008/02/07/suffered-woman/


आवारा औरत

By प्रेमलता पांडे

मंजुला दो भाइयों की अकेली बहिन थी। छोटे से क़स्बे में पली-बढ़ी मंजुला ने स्नातकोत्तर तक की शिक्षा प्राप्त की और प्रायवेट कंपनी में काम करने लगी। उसने भी जीवन के वही सपने देखे जो हर लड़की देखती है। पिता ने अनेक वर ढूंढ़े पर कोई लड़का पसंद नहीं आया। एक दिन पिता खीज गए और लड़की को ताने देने लगे। लड़की महसूस कर गयी और कह दिया कि अगली बार कोई लड़का ढूंढ़ा जाएगा तो वह कुछ नहीं कहेगी।पिता ने एक बड़े शहर में लड़का ढूंढा। लड़के की शिक्षा असल से ज़्यादा बताई गई, उसका पद और तन्ख्वाह भी असल से ज़्यादा बताए गए। चूँकि रिश्ता रिश्तेदार करवा रहे थे तो ज़्यादा पूंछ्ताछ नहीं की गयी। लड़्की ने तो कुछ न बोलने का प्रोमिस कर ही दिया था सो शादी हो गयी।शादी होकर मंजुला ससुराल आगयी।

एक दिन अचानक ससुर का देहावसान हो गया। घर में मंजुला और उसके पति के अलावा उसकी सास और दो देवर थे। ससुर के मरने पर सास तो उदासीन हो गयी। मंजुला को घर की सारी ज़िम्मेदारी दे दी गयीं। वह चुपचाप सबकुछ करती रही। तभी उसे पता चला कि उसका पति न तो उतना कामाता है और न ही उसकी उतनी शिक्षा है। इतना ही नहीं वह शराब भी जी भरकर पीता है, जिसकारण से घर में पैसा भी नहीं देता है। बहुत निराश हुई मंजुला, फिर भी सोचा कि चलो पति को समझाया जाए शायद कुछ ठीक हो जाए पर कहाँ?  वह तो मारपीट और करने लगा। रोज झगड़े होने लगे। सास तो बहु को ही कसूरवार ठहराती। देवर कुछ बीच में ही नहीं पड़ते। इसी बीच मंजुला ने एक पुत्र को जन्म दिया। कुछ समय बाद मंजुला ने पुनः जॉब पर जाने की सोची तभी सास ने बच्चे को रखने से मना कर दिया। अब क्या था निराश-हताश और परेशान मंजुला पैसे-पैसे को तरस गयी। एक दिन पति से अत्यधिक सतायी जाने पर उसने अपने बच्चे के साथ घर छोड़ दिया। अकेले अपनी किसी सहेली की मदद से किराए पर घर ले लिया। बच्चा क्रेचे में छोड़कर नई नौकरी करने लगी। चूंकि वह अकेली रहती थी तो  ससुरालवाले  जलभुन  गए, क्योंकि इसतरह अकेली रहकर उनकी नाक काट रही थी वह। घर-बाहर के कई लोगों को समझाने के लिए भेजा। पर मंजुला अब और न सह सकती थी सो अडिग रही।

धीरे-धीरे मंजुला अपने को सहज बनाने की कोशिश करती रही। वह इतनी व्यस्त रहती कि किसी से बात भी न कर पाती लोगों ने अनेक तुक्के लगाने शुरु कर दिए। उसे अवारा और चरित्रहीन भी कहा जाने लगा। पुरुष उससे हंस-हंसकर बात करने की कोशिश करते और घर जाकर अपनी स्त्रियों से उससे बात करने से मना करते क्योंकि वह अच्छी स्त्री नहीं थी। स्त्रियाँ बिना जाने-बूझे उसे अवारा कहतीं। वह पूरी गली में अच्छी औरत नहीं मानी जाती। आते-जाते उसे अजीब नज़रों से देखा जाता! पर वह किसी बात की परवाह किए बिना अपनी ज़िंदगी जीती रही  ऐसा नहीं था कि वह कभी पिघलकर आँसू नहीं बनती थी, पर उसे अपना  जीवन-यापन करना आता  था।

कैसा लगा आपको, कृपया अपना राय दे. !

8 दूसरो के कमेंट्स पढ़े..:

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

अच्छी कहानी ....बधाईयाँ !

Prakash Badal ने कहा…

आपका स्वागत

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

bahut snvedansheel hai, narayan narayan

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहूत खूब लिखा है आपने........समाज के ठेकेदार यानि की हम सभी ऐसे ही हैं.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

अच्छी संवेदनशील कथा लिखी आपने........आभार

ज्योत्स्ना पाण्डेय ने कहा…

prem lata ji ki kahani ko prastut kane ke liye sadhuvaad!
आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .आपका लेखन सदैव गतिमान रहे ...........मेरी हार्दिक शुभकामनाएं......

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

रचना गौड़ ’भारती’ ने कहा…

ब्लोगिंग जगत में स्वागत है
सुन्दर कहानी के लिए शुभकामनाएं
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लि‌ए देखें
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