दिल का दर्द ! क्या जाने कोई !



एक बार राज ठाकरे से भी इस मसले पर बात चित करना चाहिए.....
क्यों राज साहब आपका कोई नजदीकी वाला तो इनमे नहीं होगा....
क्या कहा .... कुछ सुनाई नहीं पड़ा ... क्या आप इस मसले पर बात नहीं करना चाहते... अरे हा आप तो "Established" हो चुके है....

रिजल्ट २००९ ! पैसा कमाने एक नया साधन !

5-5 रूपया लागी , एगो रिजल्ट देखे खातिर !

एल रोल नंबर के रिजल्ट के बारे में जानने के लिए 5 रूपया लगेगा ! भतीजा, आकर अभी अभी मुझे बताया ठीक १० मिनट पहले इस समय सुबह का 11.31 मिनट हो रहा है और तारीख है 30.05.09).

गाँव के कुछ समझदार लडके सुबह से ही गाँव से करीब २०-२२ किलोमीटर दूर शहर में उस समाचार पत्र या कोई ऐसा माध्यम का पता लगाने के लिए गए हुए है जिससे दसवी (Up Board) के परीक्षा परिणाम हो , और वे हर विद्यार्थी से ५-५ रुपये लेकर उसका परीक्षा परिणाम बताएँगे !

है न एक अच्छा माध्यम जिससे वे बच्चे थोडा पैसा कमा लेंगे, पर बच्चो मोबाइल कंपनिया भी है बाज़ार में जो दो रुपये ४० पैसे में रिजल्ट बता रही है और वो भी मोबाइल पे !!!!

मैं दोहरी मानसिकता लेकर जीता हूँ


दोहरी मानसिकता,

क्यों हम (मेरा मतलब है मैं) क्यों मैं दोहरी मानसिकता लेकर जीता हूँ ! और सबको लगता है कितना अच्छा आदमी हूँ मैं, मेरे बारे में प्रचलित है की मैं काफी अच्छा और सीधा आदमी हूँ ! जबकि मैं वैसा नहीं हूँ ! मैं अपने एक दोस्त जो की लगभग मेरे ही जैसा है जब मिलते है, बात करते हुए तो पता ही नहीं चलता की क्या - क्या और अश्लीलता की कितनी हदों को पर कर जाते है हम ! साथ काम करने वाली लड़कियों के बारे में, उनकी शारीरिक बनावट और उनके ब्याक्तिगत (काल्पनिक) बातो को जानने का दावा तक कर डालते है !

आज एक ब्लॉग में पढ़ा (देवी देवतायों के जननांग नहीं होते) क्यों मूर्तिकर मूर्तियों को गढ़ते समय उनके जननांगो को नहीं गड़ता ! इसके पीछे क्या वास्त्विकता है ! क्या हमारा ये देवी देवतायों के प्रति श्रधा है, या कुछ और...

ब्लोगर को कमेंट्स भी डाले और मन ही मन सोचने लगा "की क्यों हम सच्चाई स्वीकार नहीं करते" की हम ...

एक दंतकथा " यक्ष को दिया गया युधिष्ठिर का जवाब बड़ा मायने रखता है कि "अगर मेरी माता माद्री मेरे सामने नग्नावस्था में आ जाएँ तो मेरे मन में पहले वही भाव आयेंगे, जो एक युवा के मन में किसी ..."

क्यों जब मेरी बिटिया के साथ कोई लड़का हंस-हंस बाते करता है तो मैं अपने बिटिया को डांट कर कहता हूँ घर के अंदर जा और मम्मी के साथ घर का काम कर ! और सबसे नज़ारे बचाते हुए गली के अन्य लड़कियों को देखता हूँ और उनसे नजदीकिया बनाने की हर संभव कोशिश में लग जाता हूँ और मौका मिलते ही...


*** दोस्तों कमेंट्स जरुर डाले और मेरी गलतियों को जरुर बताये, इससे मुझे आगे लिखने की उर्जा मिलेगी

सांप वाला लड़का ...

तू तो राज कुमार लगता है ! तेरे चेहरे की लाली बताती है तू जरुर एक दिन बड़ा आदमी बनेगा ! (जबकि मेरा रंग काला हैं)

एक १४ से १५ साल के लडके ने मुझे टोका ! हाथ में एक नन्हा सांप का बच्चा ले रखा था ! कपडे काफी गंदे से पर गेरुए रंग का पहन रखा था ! कंधे पर एक मैला सा झोला लटक रहा था ! सांप को बिलकुल मेरे चेहरे के करीब लाकर फिर बोला, "भक्त दो रुपये भोलेनाथ को दान कर, तेरे बिगडे कम बनेंगे, तू जिस कम के लिए जा रहा है उसमे तरक्की मिलेगी ! दो रुपये भोलेनाथ को दान कर !

इतने में उसका दूसरा साथी आया और उसे उसका हाथ पकड़ कर लगभग जबरजस्ती दूसरी तरफ लेकर चला गया ! क्योंकि उस लडके को मैं एकदिन इसी वजह से एक जोरदार थप्पर लगा चूका था और पकड़ कर पुलिस के पास ले जाने की धमकी दे चूका था !

क्योंकि ये लोग रोज किसी न किसी को .........

लालू जी, पासवान जी, ... सब बेरोजगार हो गए...

ब्रेकिंग न्यूज़ के स्क्रोल में पढ़ा " लालू जी, पासवान जी, ... सब बेरोजगार हो गए हैं ".

एक नेता जी का बयान "हम तो सोनिया जी को बिना सर्त समर्थन देंगे" !

मैंने सोचा चलो मंदी की मार इनके ऊपर भी पड़ी हैं ! नेता भी क्या हमसे अलग होते हैं ? जो इनके ऊपर मंदी की मार नहीं पड़ेगी ! जनाब ये तो हमारे नुमाइन्दे है ! इन्हें भी तो पता चले मंदी के मार से बेरोजगार हुए लोगे का दर्द क्या होता है ?! अब पता चलेगा जब सोनिया जी भी इन्हें ३४०० सरकारी रेट के बजाय २३००/- रुपये प्रति माह पर नौकरी देगी और वो भी पुरे १४ घंटे रोज के नौकरी करने के बाद !


अब सचाई पता चली है, की क्यों प्राइवेट कंपनियों में आज भी यानि (१९.०५.०९ तक) लडके-लड़किया मात्र २३००/- रुपये प्रति माह पर १२ - १४ घंटे कम करने को तैयार हो जाते है !

एक नादान (समझदार ) लड़की

भाई साहब! हनुमान मूर्ति, करोल बाग अगला स्टाप ही है क्या ?
बस में खड़े खड़े मै अपने बाजु में बैठे एक सज्जन से पूछ लिया ! हा बेटे अगले गोल चक्कर पे उतर जाना ! उस सज्जन ने जवाब दिया ! आगे बहुत ही जाम था सो मैंने वही उतर जाना ठीक समझा ! पर वहा से काफी चलना पड़ा मुझे, झंडेवालान मेट्रो के निचे से होते हुए मै हनुमान जी की मूर्ति के पास बहुचा ! मुझे वहा से गुडगाँव बस स्टैंड तक जाना था और गुडगाँव के लिए बस पकड़नी थी, पर आधा किलो बेसन का लड्डू ख़रीदा और चल पड़ा पहले हनुमान जी का भोग लगाने !

रात के करीब नौ बजे (करोल बाग)गुडगाँव स्टैंड पर पंहुचा, सवारिया बहुत कम थी और जो थी वो भी किसी तरह कैब-वैब पकड़ने के चक्कर में थी. मैंने भी कोशिश की पर गुडगाँव बस स्टैंड तक का कोई नहीं मिला ! थक कर मैं स्टैंड पर आकर बैठ गया ! और बस का इंतजार करने लगा ! इसी तरह २० से २५ मिनट बीत गया पर हा मेरे साथ साथ कुछ और सवारिया भी थी वहा जो बस (हरियाणा रोडवेज) का इंतजार कर रही थी !

मैं भी फुर्सत में ही था ! सो बस का इंतजार ठीक ही लग रहा था ऊपर से गर्मी का मौसम ! अपने समय से बस आई और मैं बस में खिड़की के तरफ की सीट पर बैठ गया ! बस चल पड़ी , बस में कुल १०-१२ सवारिया ही थी ! बस बहुत जल्दी धौलाकुवां बहुच गई, हा धौलाकुवां में कुछ सवारिया चढी और अ़ब कुल मिला कर २०-२५ सवारिया थी बस में ! उसमे एक लड़की भी थी धौला कुवां से चढ़ने वाली सवारियों में ! लड़की इसलिए याद है क्योंकि केवल दो ही लड़की थी पुरे बस में एक करोल बाग से चढी थी और एक धौलाकुवां से ! ज्यादा सवारी न होने के कारण बस बहुत जल्दी धौला कुवां से भी चल पड़ी ! वो लड़की अकेली थी, सफ़ेद सुट में, लेडीज सीट की ओर खिड़की के तरफ बैठ गई और जल्दी में बैठते ही मोबाइल पर लगी बातें करने, सायद बस में चढ़ते समय मोबाइल किसी से कनेक्टेड ही था !

धौलाकुवां से चढ़ने वाली सवारियों में दो लोग और थे उसमे से एक काफी देर तक बस में खडा रहा जबकी लगभग काफी सीटें खली थी पर वो (काला सा) उस लड़की के साथ वाली सीट पर बैठ गया ! बस फिर चल पड़ी ! हल्की हल्की बूंदा बंदी भी होने लगी मौसम कभी खुशनुमा लग रहा था ! आदतन बस में, कुछ (कुछ लोग जिसमे से मैं भी हूँ) दूसरी सवारियों के तरफ और पुरे बस में जरुर नजर डालते है ! मैंने भी वही किया , अचानक मेरी नजर उस सीट की तरफ रुक गई जहा वो (काला सा) और वो लड़की (सफ़ेद सुट) पहने थी ! लड़की अब भी मोबाइल पर ब्यस्त थी ! और लड़का वो (काला सा) काफी उत्तेजित सा लग रहा था और अपनी नजर में सबसे नजरे बचाते हुए उस लड़की को अपनी बायीं कोहनी से छेड़ रहा था और लगातार छेड़ रहा था, लड़की का पुर ध्यान मोबाइल में लगा हुआ था या सायद वो मोबाइल पर काफी ब्यस्त होने की नक़ल कर रही ! चाहे जो भी हो पर वो (काला सा) लड़का अब उस लड़की के वक्षो को सहलाने की भी कोशिस कर रहा था ! इस बार लड़की ने उसका हल्का सा विरोध किया और लड़का थोडा डरा और पूरा डरने का नाटक करने लगा ! लड़की ने विरोध में इतना किया की अपना पर्स अपने और उसके बिच रख लिया और फिर मोबाइल पर वयस्त हो गई पर उस लडके का उससे ज्यादा विरोध नहीं किया ! वो (कला सा) लड़का जिसकी हिम्मत काफी बढ़ चुकी थी इस बार फिर अपने कोहनी से नहीं बल्कि अपनी दाई हाथ से (लड़की जो उसके बायीं तरफ बैठी थी) लड़की के वक्ष को भिचा, लड़की इस बार सायद दर्द से कराह उठी और हल्का सिर्फ हल्का सा विरोध किया ! और फिर मोबाइल पर व्यस्त हो गई !

मैं इसबार अपने जगह से उठा और उस (काला सा) लडके का विरोध किया ! जितना हो सका अपने पुरे दम ख़म से उस लडके को डराने की कोशिश की और कहा " क्यों बे क्यूँ उस बेचारी लड़की को छेड़ रहा है" लड़का कुछ डरा और अपने डर को छुपाते हुए कहा "देखा क्या तुने" मैंने कहा "हा देखा और काफी देर से देख रहा हूँ तेरी गन्दी हरकत" तेरे घर में तेरी बहन नहीं है क्या ! ये भी तो किसी की बहन होगी" उस लडके का दूसरा साथी भी उसी की तरफ से मुझे ही मारने-वारने की धमकी देने लगा ! बस की दूसरी सवारिया केवल हमारी बातें सुन रही थी पर किसी का support मुझे नहीं मिला ! मैं भी अकेले उनसे लड़ने का मन बना लिया था ! दुसरे ने कहा "तेरी चाची लगती है क्या पूछ उससे, क्या "xxxx" पकडी है मैंने उसकी ! लड़की अब भी मोबाइल पर बातें कर रही थी ! पर उसके सवाल का जवाब नहीं दिया

और बात बढ़ते देख चुपचाप वह वहा से उठकर आगे की तरफ बढ़कर एक खाली सीट पर बैठ गई ! अब दोनों लडके मिलकर मुझे डराने की कोशिश करने लगे और ! बस अब तक (सुखराली) पहुच चुकी थी ! वो दोनों लडके सुखराली के ही थे या किसी कारन वस् वही उतरने लगे और मुझे बार बार धमकिया दे रहे थे "उतर तू सुखराली, बताते है तेरी चाची को कैसे छेडा"

वो दोनों तो वही उतर गए, पर लड़की सायद गुडगाँव तक जाने वाली थी और मैं भी गुडगाँव स्टैंड तक ! अब बस में खामोशी थी, सायद सभी कुछ न कुछ बोलने वाले थे पर सब खामोश थे, लड़की भी खामोस थी, मै भी खामोश था, सवारिया भी खामोस थी ! और बस ड्राईवर भी खामोशी से ही बस चला रहा था ! चारो तरफ खामोशी थी !

गुडगाँव बस स्टैंड आया और सभी सवारिया उतरने लगी ! एक नजर मै उस लड़की को जरुर देखा जो अब भी मोबाइल पर बातें कर रही थी !

मैं उदास जरुर था पर एक बात सोचने पर जरुर मजबूर हुआ की "क्यों हम सभी बड़ी बड़ी बातें करते है और जब जरुरत आन पड़ती है तो चुप रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं)

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वो मुझे अच्छी लगती है.

उसका नाम गुलाबो है (मेरे खयालो की), (pinky) वो १४ साल की होगी और मे ३२ साल का , क्या मेल है ! जनाब मेल वेल तो तेल बेचते है ! यहाँ बात कर रहा हूँ ... Hmmmmm... क्या सोंचने लगे ?. हा... बिलकुल वही.? ( ???)

रोज देखता हूँ उसे, उसके हर अंग को, हर अदा को, हर उस बात को जो उसमे खास लगती है. पर गुस्सा आता है जब कभी वो नहीं दिखती है. सोंच की कल्पना में उड़ जाता हूँ की आज क्यों नहीं दिखी, मन दुखी हो जाता है ! और रोड के किनारे किनारे चल पड़ता हूँ क्योंकि ऑफिस भी तो टाइम पर पहुचना है ! पर अगले ही पल फासला ख़त्म हो जाता है. और भीड़ की रेल्लम पेल आ जाती है. और मे भी उसी में खो जाता हूँ क्यों की अगले चौहरे पर ऑटो स्टैंड है. जहा से मे ऑफिस के लिए ऑटो पकड़ता हूँ.! ऑटो में जगह लेने की होड़ में शामिल हो जाता हूँ ! यहाँ ऑटो वालो की भी एक आदत मुझे अजीब सी लगती है, अजीब ये की जिस [सवारी] की तलास में वो सुबह-सुबह नहा-धो कर पूजा पाठ कर , भगवन का आशीर्वाद लेकर, घर से निकलते है और जब वो [सवारी] उनके पास होती है उनके ऑटो में बैठने के लिए उतावली होती है. तो उनके नखरे देखने लायक होते है ! असोभानिये शब्द का इस्तेमाल ! और कभी कभी तो अपने ऑटो में ना बैठने देने की हिदायत भी दे डालते है ! और अगले कुछ समय बाद यानी ऑफिस टाइम के बाद जब सवारिया कम हो जाती है तब, एक सवारी जो पास की पान की दुकान से पान लगवा रहा हो और ऑटो वाला यह भाप जाये की वो उसकी ऑटो में बैठेगा ,तब ऑटो वाला तब तक उसका इन्तेजार बीच रोड में करेगा जब तक सवारी पान खाकर, दुकान वाले को सौ का नोट देकर खुल्ले वापस लेकर पान की दो - चार किल्ली रोड पर न थुक दे ! ऑटो वाला फिर उससे प्यार से पूछेगा " चलना है भाई" सवारी (पान की जुगाली) करते हुए ना में सिर हिला कर पास ही खड़ी अपनी साइकल की योर चल पड़ता है. (यह वाकया रोज तो नहीं होती पर एक बार मै देख चूका हूँ)

अगले दिन फिर वही उसी को एक पल देख लेने की चाहत ! अक्सर वो दिख भी जाती है ! आज का वाकया लिख रहा हूँ ! आज मैं सड़क के रांग साइड से था जिधर से वो रोज आती है ! शायद पास ही किसी Institute में पढ़ने जाती है. ! आज मै उसे पास से देखा फासला कोई 90 से 100 फिट की दुरी का था और समय 3 से 3.30 मिनट का ! आज वो एक बहुत ही अछे चूडीदार और उसी के मेचिंग के सभी चीजे पहन रखी थी ! शारीर की बनावट भी किसी तरह कम नहीं है उसकी इसलिए तो "वो मुझे अछी लगती है" मेरी नजर में नारी की बक्ष ही आकर्षण का मुख्या केंद्र है ! मै आजतक उसे सड़क के उस पर से देखा था उसके लिए सड़क का लेफ्ट साइड मेरे लिये सडक का राइत साइड । आज वो बहुत ही खुबसुरत लग रही थी ! बिलकुल किसी अप्सरा की तरह ! सुबह का नौ बज रहा था मौसम बिलकुल साफ था । सब कुछ साफ और सुहावना लग रहा था ! 90 - 100 फीट की दुरी कम होकर अ़ब 40 - 50 फीट रह गई थी ! वो करीब और करीब आती जा रही थी ! मै उसको लगातार देखे जा रहा था !

४० से ४५ सेकण्ड के कम समय में मै उसको पूरी तरह देख लेना चाहता था ! मेरी मानसिक इस्थिति ऐसी थी जैसे किसी किसी मर्डर मिस्ट्री फिल्म को देखते वक़्त दर्शक कातिल को जल्द से जल्द पहचान लेने की मन ही मन ख्वाहिज रखता हो ! मेरी हालत भी वैसी ही थी ! उतने कम समय में मै उसे (उसको) पूरी तरह देख लेना चाहता था ! फासला अ़ब खत्म होकर 20 से 10 फीट की दुरी का रह गया था ! मै उसे साफ साफ देख रहा था ! उसके मासूम से चेहरे को ! उसके बालो को ! उसके सभी अंगो को ! बारीकी से उसके आखो को ! उसके होठो को ! उसके चलने के अंदाज को ! उसके बॉडी लैंग्वेज को ! पता नहीं फिर कभी उसे देखने का मौका मिले न मिले ! ! ! ! . . . ****/ / / @ ! $ %*~~~ पापा ! पापा ! पापा ! ! ! मेरी बिटिया २ साल की है. ! जब ऑफिस से आता हूँ तो वो मेरे पास दौडी दौडी आती है ! ठीक से बोलना भी अभी तक नहीं सिख पाई है ! पर तोतली जुबान से पता नहीं क्या क्या एक साँस से कहती चली जाती है ! फिर ताफी (टाफी) और कुकुरे (कुरकुरे) की फारमाईस ! मैं भी उसके साथ उसी के भाषा में सुरु हो जाता हूँ ... और खो जाता हूँ आनंद के सागर मे ...

सायद गुलाबो (मेरे खयालो की pinky) के पापा भी उसे मेरी बिटिया के तरह ही तो प्यार करते होंगे ! पिंकी भी बहुत अछी हैं, और मेरी बिटिया भी ! क्योंकि वो मुझे अछी लगती है...