रोज के तीन बोरी चावल खाने में खर्च हो जाता है, आय का कोई साधन नहीं है ! फिर भी दिन कट रहे है सब अल्लाह की मर्जी से !
८४ पत्नियों में से एक के ये कहने पर की मैं इनसे शादी नहीं करुँगी क्योंकि ये बुजुर्ग हैं, उससे कहा गया की ये सीधे अल्लाह की मर्जी है की तुम इनसे शादी करो, और उसने अल्लाह की मर्जी से शादी कर ली, वैसे इसलाम में ४ शादियों तक जायज माना जाता है, पर जनाब मुह्हम्मद बेल्लो अबुबकर का कहना है, इसलाम में चार शादियों तक जायज बताया गया है पर उससे ज्यादा शादी करने पर कोई गुनाह तय नहीं किया गया है.
सब अल्लाह की मर्जी है...




सौजन्य : http://news.bbc.co.uk/2/hi/africa/7547148.stm
2 दूसरो के कमेंट्स पढ़े..:
....जब अल्लाह की मर्जी है.........तो ......क्या कहे .......???.
बढ़िया है...लगे रहो
एक टिप्पणी भेजें